क्षेत्रफल और परिमाप क्या होता है| त्रिभुज और उसके भ

 क्षेत्रफल [Area]:-

किसी समतल आकृति द्वारा घेरा जाने वाला स्थान अथवा आकृति की सीमाओं के अंदर के धरातल का परिमाप, उसका क्षेत्रफल कहलाता है|

क्षेत्रफल का मात्रक 'वर्ग इकाई' होता है|

जैसे- किसी आयत की लंबाई (l) = 4 सेमी तथा चौड़ाई (b) = 6 सेमी,

तब, आयत का क्षेत्रफल(A) = l X b = 4 X 6 = 24 सेमी

परिमाप (perimeter)

किसी समतल आकृति की सभी भुजाओं का योग उसका परिमाप कहलाता है| इसे परिमिति भी कहते है जिस इकाई में भुजा की माप दी गई होती है, वही इकाई परिमिति की माप होती है|

जैसे- किसी त्रिभुज की भुजाएँ क्रमश: 5 सेमी, 5 सेमी व 6 सेमी है,

तब, त्रिभुज का परिमाप (P) = तीनों भुजाओं का योग = 16 सेमी

त्रिभुज (Triangle)

तीन भुजाओं से घिरी हुई आकृति त्रिभुज कहलाती है| इसमें तीन कोण होते है| जिसका योग 180° होता है| तथा किन्हीं दो भुजाओं का योग तीसरी भुजा से अधिक होता है| त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/2 × आधार × ऊँचाई

= 1/2 × a × h


समबाहु त्रिभुज (Equilateral Triangle)

ऐसे त्रिभुज जिनकी तीनों भुजाऐं समान होती हैं समबाहु त्रिभुज कहलाते हैं| और इसका प्रत्ये क कोण 60° का होता है|

(i) समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √3/4 a²

(ii) समबाहु त्रिभुज का परिमाप = 3a

(iii) समबाहु त्रिभुज की ऊँचाई h = √3/2a = 1/2 × a × h

समद्विबाहु त्रिभुज (Isosceles Triangle)

ऐसे त्रिभुज जिसकी दो भुजाऐं समान होती है| समद्विबाहु त्रिभुज कहलाते है|

(i) समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √s(s-a)(s-a)(s-b) = (s-a) √s(s-b)

(ii) समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप = 2a + b



= 1/2 × a × h

विषमबाहु त्रिभुज (Scalene Triangle)

ऐसे त्रिभुज जिसकी कोई भी भुजा समान नहीं होती है|

(i) विषमबाहु त्रिभुज का परिमाप = a + b + c

(ii) विषमबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √s (s-a) (s-b) (s-c)

जहां, s = a + b + c/2

समकोण त्रिभुज (Right Angle Triangle)

यदि किसी त्रिभुज का एक कोण समकोण यानि 90° का हो|

(i) समकोण त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/2 × आधार × लम्ब = 1/2 × b × p

(ii) समकोण त्रिभुज का परिमाप =p + b + h

आयतन (Volume)

कोई वस्तु जितना स्थान घेरती है, उसे उस वस्तु का आयतन कहते है|आयतन को घन इकाई मे मापा जाता है|

जैसे:- किसी सन्दुक का आयतन l × b × h = 15 × 8 × 4 = 480 घन सेमी होगा|

पृष्ठीय क्षेत्रफल (Surface Area)

समतल अथवा ठोस वस्तुओं के फेलाव को सतह या पृष्ठ कहते है तथा इसके तल के क्षेत्रफल को पृष्ठीय क्षेत्रफल कहते है|

जैसे- घन के कुल 6 पृष्ठ होते है| इन पृष्ठों का कुल क्षेत्रफल 6 × (भुजा)² वर्ग इकाई होता है
|

(1) घन (Cube)

छ: समान पृष्ठों वाली एसी ठोस आकृति, जिसकी सभी विमाएँ (लंबाई, चोड़ाई, ऊँचाई) समान हो घन कहलाता है|

(i) घन का आयतन = a³

(ii) घन का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 6a²

(iii) घन का विकर्ण = a√3, जहां a घन की भुजा है|

(2) घनाभ(Cuboid)

एसी आकृति, जो छ: पृष्ठों या तलों से घिरी हो तथा सभी तल आयताकार हो, घनाभ कहते है| घनाभ की भुजाओं को 'कोर' भी कहते है|

(i) घनाभ का आयतन = lbh

(ii) घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 ( lb + bh + hl )

(iii) घनाभ का विकर्ण = √l²+ b² + c² जहाँ, l, b,h क्रमश: घनाभ की लम्बाई, चौड़ाई व ऊँचाई है|

(3) कमरा (Room)

किसी आयताकार कमरे की चार सतह होती है|तथा आमने सामने की सतहों (दीवारों) का क्षेत्रफल समान होता है|

(i) दीवारों का कुल क्षेत्रफल (A )= 2 × (l + b)× h

(ii) कमरे में, कुल हवा (v) = l × b × h

(iii) फर्श या छत का क्षेत्रफल (A₂) = l × b

(iii) कमरे में रखी जा सकने वाली लम्बी से लम्बी छड़ की लम्बाई = कमरे का विकर्ण, d = √l²+ b² + c²

(4) बेलन (Cylinder)

वृत्तीय आधार वाली एसी ठोस जिसके पार्श्व समतल होते हैं, लम्बवृत्तीय बेलन कहलाती है| इसका निर्माण समान त्रिज्या वाले वृत्तों को एक-दूसरे के ऊपर रखकर किया जाता है|

(i) बेलन का आयतन (v)= лr²h

(ii) बेलन का वक्रपृष्ठीय क्षेत्रफल (s) = 2лrh

(iii) बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल (TS) = 2лr ( r + h )

जहां, r बेलन की त्रिज्या तथा h बेलन की ऊंचाई है|

(5) खोखला बेलन (Hollow Cylinder)

वृत्तीय आधार वाली खोखली आकृति, जिसके पार्श्व समतल होते हैं, खोखला बेलन कहलाती है| जैसे- पाइप, बांसुरी आदि

(i) खोखले बेलन का आयतन (v) = лh ( r₁² - r₂² )

(ii) खोखले बेलन का वक्रपृष्ठीय क्षेत्रफल (s) = 2лh( r₁ + r₂ )

(iii) खोखले बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल(TS) = वक्रपृष्ठीय क्षेत्रफल + 2л ( r₁² - r₂² ) = 2лh( r₁ + r₂ ) + 2л ( r₁² - r₂² )

जहाँ, r₁ व r₂ क्रमश: बाह्य व अंत: आधारों की त्रिज्यएँ व h बेलन की ऊंचाई है|

(6) शंकु (Cone)

यह एक ऐसा पिरामिड है जिसका आधार एक वृत्त होता है तथा समकोण त्रिभुज की समकोण बनाने वाली भुजा को आधार या लम्ब के परित: घुमाने पर इसका निर्माण होता है|

(i) शंकु का आयतन (v) = 1/3 лr²h

(ii) शंकु की तिर्यक ऊँचाई (l) = √r² +h²

(iii) शंकु का वक्र पृष्ठ (S) = лrl

(iv) शंकु का सम्पूर्ण पृष्ठ (TS) = лr( r + l )

(7) गोला (Sphere)

एक ऐसी ठोस व गोल आकृति जिसकी सतह का प्रत्येक बिन्दु एक निश्चित बिन्दु से समान दूरी पर स्थित हो|

इसका निर्माण, वृत्त को उसके व्यास के अनुदिश घुमाने पर होता है|

(i) गोले का आयतन ( V ) = 4/3 лr³

(ii) गोले का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल (S) = 4 лr²

(8) अर्द्धगोला (Hemisphere)

ठोस गोले को व्यास के अनुदिश दो भागों में बाँट देने पर प्राप्त प्रत्येक भाग को अर्द्धगोला कहते है|

(i) अर्द्धगोले का आयतन (V) = 2/3 лr³

(ii) अर्द्धगोले का सम्पूर्ण पृष्ठ (S₁) = 3лr²

जहाँ, r अर्द्धगोले की त्रिज्या है|

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